कन्या पूजन में ना करें ये गलतियां, वरना नहीं मिलेगा पूजा का पूरा फल, रूठ जाएंगी देवी मां!
नवरात्रि के नौं दिनों देवी दुर्गा के स्वरूपों की भक्ति आराधना की जाती है. कई लोग नवरात्रि के नौ दिनों व्रत उपवास भी करते हैं और फिर नवरात्रि के आखिरी दिन नवमी के दिन कन्या पूजन कर अपने व्रत का समापन करते हैं. धर्म शास्त्रों के अनुसार, नवरात्रि में कन्या पूजन के बिन व्रत का समापन करने पर पूजा अधूरी मानी जाती है. क्योंकि कन्याओं को साक्षात देवी का रुप माना जाता है.
हालांकि नवरात्रि में लगभग हर घर में कन्या पूजन किया जाता है और उन्हें आदर पूर्वक फल, मिष्ठान, भोजन व सामर्थ्य अनुसार कुछ भेंट दी जाती है. लेकिन क्या आपको पता है कि कन्या पूजन के समय आपको कुछ विशेष नियमों का पालन करना जरूरी होता है. अगर इन नियमों में थोड़ी चूक हो तो आपको नौं दिनों की पूजा का फल नहीं मिलता है. ऐसे में आइए पंडित राघवेंद्र शास्त्री से कन्या पूजन के नियमों के बारे में विस्तार से जानते हैं.
स्थान का रखें विशेष ध्यान
कन्या पूजन के लिए जिस जगह का आप चुनाव कर रहे हैं उस स्थान को साफ-सुथरा और पवित्र रखें, इस स्थान पर गंदगी ना रखें क्योंकि कन्याएं देवी मां का रूप मानी जाती हैं और देवी को स्वच्छता पसंद होती है. इसलिए कन्या पूजन वाले स्थान पर गंगाजल से छिड़काव कर वहां साफ जरूर कर लें.
स्नान के बाद करें कन्या पूजन
देवी-देवताओं की पूजा करने से पहले स्नानादि करना बेहद जरूरी होता है. उसी प्रकार कन्या पूजन से पूर्व भी स्नान करना बहुत जरूरी माना जाता है. कन्या पूजन से पहले स्नान कर स्वच्छ कपड़े पहनें व कन्याओं के भी अपने हाथें से पैर धुलवाएं, फिर उन्हें आसन पर बैठाएं.
बासी भोजन ना करवाएं
कन्या पूजन के दिन कन्याओं को सात्विक व ताजा भोजन करवाना चाहिए. ध्यान रखें की भोजन में लहसुन, प्याज का इस्तेमाल ना करें. साथ ही उन्हें ताजा व शुद्ध भोजन करवाएं. इसके साथ ही यह भी सुनिश्चित कर लें कि कन्याओं को गंदे व झूठे हाथों से भोजन ना परोसें. ये शुभ नहीं माना जाता है.
कन्याओं के साथ अच्छा व्यवहार करें
कन्याओं के साथ बुरा व्यवहार ना करें, उनपर क्रोध या फिर उनके प्रति कोई नकारात्मक विचार ना रखें. कन्याओं को साक्षात देवी का रूप माना जाता है, इसलिए उनके प्रति असम्मानजनक व्यवहार ना करें और उनसे सम्मान पूर्वक बात करें.
कन्याओं की संख्या इतनी होनी चाहिए
धार्मिक मान्यता के अनुसार कन्या पूजन के लिए हमेशा 2, 5, 7 या 9 कन्याओं को आमंत्रित करना शुभ माना जाता है. भूलकर भी विषण संख्या में जैसे 1, 3, 6 या 8 कन्याओं को ना बुलाएं.