हिंदू धर्म में कलावा एक बहुत ही पवित्र धागा होता है जिस व्यक्ति अपने हाथ में बांधता है. यह सुरक्षा और सौभाग्य का प्रतीक होता है. किसी भी शुभ कार्य अथवा पूजा की शुरुआत में इसे बांधा जाता है. कलावा को मौली, रक्षासूत्र एवं चरदु भी कहते हैं. यह धार्मिक आस्था का प्रतीक है और सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है. पुरुषों एवं कुंवारी कन्याओं को अपने दाएं हाथ में कलावा बंधवाना चाहिए.शादीशुदा महिलाओं को बाएं हाथ में कलावा पहनना चाहिए.

इक्कीस दिन से ज्यादा नहीं बांधना चाहिये कलावा : किसी भी व्यक्ति को अपने हाथ में कलावा सिर्फ 21 दिन के लिए बांधना चाहिए. इक्कीस दिन इसलिए क्योंकि इतने दिनों के बाद कलावे का रंग उतरने लगता है. कलवा सदैव ही सूती होना चाहिए. आप जब भी कलावे को बांधे अथवा किसी योग्य पुरोहित से बंधवाए तो पूर्ण मंत्र के साथ ही अलावा बांधना चाहिए. कलावे को बांधते समय मुट्ठी में कुछ अन्न अथवा धन रखकर कलावा बंधवाना चाहिए. कलवा बंद जाने के बाद मुट्ठी में बंद धन को पुरोहित को देना चाहिए. ऐसा कलवा जो रेशमी हो बेकार होता है. इसलिए सदैव ही लाल चटक रंग का सूती कल वही अपने हाथ में बंधवाना चाहिए.

21 दिन बाद उतार दें कलावे को : के अलावा बनने की 21 दिन बाद आपको उसे उतार देना चाहिए. उतरा हुआ कलवा पूर्ण रूप से नकारात्मकता से परिपूर्ण होता है इसलिए ऐसे कलावे को घर में कहीं भी ना रखें. जिस कलावे का रंग उतर चुका हो या उसके धागे निकलने लगे हो वह कलावा ग्रह दोष उत्पन्न करता है. इसलिए खंडित हुए कल आवे या उतरे हुए कलावे को मिट्टी में गड्ढा खोदकर गाढ़ देना चाहिए. क्योंकि कलवा मंगल ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है और भूमि मंगल ग्रह की माता है इसलिए उतरा हुआ कलवा मिट्टी में गाढ़ देने से हमें अच्छे फलों की प्राप्ति होती है. कलवा सदैव ही मंगलवार या शनिवार के दिन उतारना चाहिए.

कलावा बांधने का मंत्र : यदि आप किसी अन्य व्यक्ति से या स्वयं से कलावा बांधते हैं तो उस समय “येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबलः, तेन त्वाम् मनुबध्नामि, रक्षे मा चल मा चल” मंत्र का जाप मन में करना चाहिये. इससे यह कलावा रक्षासूत्र के रुप में कार्य करता है.