दोस्ती पर जहां कई अच्छी फिल्म बनी वही ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे.. जैसे सदाबहार गाने भी हम गुनगुनाते है.. इन दिनों साहब बहादुर और अडानी सेठ की दोस्ती के चर्चे चहुंओर हैं... मेरा तो स्पष्ट मानना है कि भाजपाइयों को बजाय इसका विरोध करने के,  खम ठोंककर इस दोस्ती को स्वीकार करना चाहिए, यहां तक कि मोदीजी को भी राहुल के लगाए आरोपों का जवाब बजाए इधर उधर की बात करने के , दो टूक कहना था कि हां, मेरा प्यारा और जिगरी दोस्त है गौतम... जायज है इस स्वीकारोक्ति पर सदन की अधिकांश मेजें थपथपाई जाती और ट्विटर पर दोस्ती की मिसाल के संदेशों का तूफान आ जाता...आखे देश में इस दोस्ती की मिसाल देते हुए सोशल मीडिया पर भक्त मंडली भी कुर्बान जाती....संभव है कश्मीर फाइल्स  वाले विवेक अग्निहोत्री इस दोस्ती पर डॉक्यूमेंट्री टाइप फिल्म की घोषणा कर देते और भाजपाइयों को एक नया रोजगार फिल्म हिट करवाने का मिल जाता... वैसे भी अभी तमाम भक्त पठान की रिकॉर्ड तोड़ सफलता से भुनभुनाए घूम रहे है और फ्लॉप न करवा सकने का प्रतिशोध साहब और उनके मित्र पर बनी फिल्म को सुपर-डुपर हिट करवा कर लेते.. इस मामले का दूसरा महत्त्वपूर्ण पहलू ये है कि अगर नेताओं की दोस्ती सेठों से नहीं होगी तो तमाम ऊपरी खर्चे कैसे पूरे होंगे ? अब तो विधायकों की खरीदी भी महंगाई के इस जमाने में कम खर्चीली नहीं है... एक राज्य में ही तख्ता पलट सरकार बनाने पर 2- 4 हजार करोड़ की बत्ती लग जाती है... अब यह पैसा क्या किसी दुश्मन से आयेगा , अगर सेठ जैसे दोस्त साथ नहीं होंगे... ये दोस्ती का ही कमाल है कि 2014 में सेठ जी मालदारों की सूची में 609 वें स्थान पर थे तो 8 सालों में रॉकेट गति को मात करते हुए दुनिया के दूसरे मालदार बन गए थे... वो तो जलकुकड़े हिडनबर्ग जैसों के चलते अभी थोड़ा नीचे आना पड़ा... मगर फिकर नॉट... सरकार से दोस्ती है, तो अब पहले नम्बर पर आने से कोई नहीं रोक सकेगा... अपने नथुने फुलाकर खामखा रवि शंकर प्रसाद सफ़ाई देते हुए माल्या, वाड्रा, नीरव मोदी, चोकसी के नाम ले रहे हैं... जबकि हकीकत ये है कि ये सब टटपुंजिये दोस्त साबित हुए, जो देश के मालदारों की सूची में कोई स्थान बनाने की बजाए भगोड़े साबित हो गए... मैंने तो गली -मोहल्ले से लेकर शहर के सेठों से दोस्ती के प्रयास शुरु कर दिए है , कब तक फोकटिये फेसबुकिए दोस्तों के लाइक से गुजरा करू.. भविष्य पर फोकस जरुरी है...आप भी अनुसरण कीजिए... बहरहाल अडानी जी की कम्पनियों के शेयर चढऩे लगे हैं और स्टॉक एक्सचेंज के पार्श्व में ये गीत गूंज रहा है... बने चाहे दुश्मन जमाना हमारा... सलामत रहे दोस्ताना हमारा..! @ राजेश ज्वेल